India Women vs England Women टीम के बीच खेले गए इस मुकाबले ने क्रिकेट प्रेमियों को रोमांच से भर दिया। दोनों टीमों के बीच यह मैच काफी प्रतिस्पर्धात्मक रहा और हर ओवर के साथ खेल का रोमांच बढ़ता गया। भारत की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का फैसला लिया, जो टीम के लिए फायदेमंद साबित हुआ।
इंग्लैंड की शुरुआत अच्छी नहीं रही। उनके शुरुआती विकेट जल्द ही गिर गए, क्योंकि भारत की गेंदबाज़ी इकाई ने शानदार प्रदर्शन किया। दीप्ति शर्मा और पूजा वस्त्राकर ने कसी हुई गेंदबाज़ी से इंग्लैंड की बल्लेबाज़ों पर दबाव बनाया। दीप्ति शर्मा ने अपने चार ओवर में सिर्फ 20 रन देकर 3 अहम विकेट चटकाए। उनकी गेंदबाज़ी ने भारत को मैच में मजबूती दी और इंग्लैंड की रन गति को धीमा कर दिया।
भारतीय बल्लेबाजी की धाक: स्मृति और हरमनप्रीत का जलवा
मैच की शुरुआत कुछ ठीक नहीं रही। भारतीय टीम को शुरुआती झटके लगे। ऐसे में सबकी निगाहें स्मृति मंधाना पर टिकी थीं। और उन्होंने निराश नहीं किया! उनका खेल देखने लायक था। शॉट्स में कितना सुंदर टाइमिंग था, गेंदें बाउंड्री के पार जाती दिखीं। एक अर्धशतक की पटकथा लिखी उन्होंने, जिसने टीम को डूबने से बचा लिया। लेकिन मैच का सबसे नाटकीय पल आया जब हरमनप्रीत कौर क्रीज पर उतरीं। दबाव में खेलना इनके खून में है! कुछ ऐसे शॉट्स मारे, खासकर अंतिम ओवरों में, जिससे स्कोरबोर्ड तेजी से दौड़ने लगा। उनकी तूफानी पारी ने भारत को एक प्रतिस्पर्धी स्कोर तक पहुंचाने में निर्णायक भूमिका निभाई। क्या यही दोनों वास्तविक हीरोइन थीं?
इंग्लैंड की दमदार पारी और भारतीय गेंदबाजों का जवाब
इंग्लैंड की पारी शुरू हुई तो उनकी कप्तान हेदर नाइट और ओपनर नताली साइवर ने जोरदार शुरुआत की। खासकर साइवर का खेल चिंताजनक था। वे शतक की ओर बढ़ रही थीं और मैच उंगलियों से फिसला जा रहा था। ऐसे में जरूरत थी एक चमत्कारिक विकेट की। और वह चमत्कार दिखाया सोफिया डंक्ले ने! उनकी चालाक स्पिन गेंदबाजी ने साइवर को धोखा दिया और उनका क्लीन बोल्ड कर दिया। यह विकेट मैच का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। डेबी शर्मा की अनुभवी कप्तानी और रेणुका सिंह की तेज गेंदों ने भी इंग्लैंड की रफ्तार पर लगाम लगाने में अहम भूमिका निभाई। क्या डंक्ले का यह शानदार प्रदर्शन उन्हें हीरोइन की उपाधि दिलाने के लिए काफी था?
निर्णायक पल: टीम वर्क की जीत
अंतिम ओवरों का तनाव सिर चढ़कर बोल रहा था। इंग्लैंड को जीत के लिए जरूरी रन चाहिए थे, भारत को कुछ विकेट। ऐसे में फील्डिंग में भारतीय टीम ने जो जज्बा दिखाया, वह सराहनीय था। हर छोटी सी कैच पकड़ी गई, हर रन बचाने के लिए खिलाड़ी जमीन पर लुढ़क गईं। यह सामूहिक प्रयास था जिसने इंग्लैंड को दबाव में रखा और अंततः उन्हें रनों के मामले में पीछे छोड़ दिया। क्या फिर सच्ची हीरोइन कोई एक नहीं, बल्कि पूरी टीम की जुझारू भावना थी?
निष्कर्ष: सभी विजेता हैं!
“भारत महिला बनाम इंग्लैंड महिला” का यह मुकाबला सिर्फ स्कोरबोर्ड पर नहीं जीता गया। यह जीता गया था हर उस खिलाड़ी के दृढ़ संकल्प, कौशल और टीम भावना से जिन्होंने मैदान पर अपना खून-पसीना बहाया। स्मृति मंधाना और हरमनप्रीत कौर ने बल्ले से जीत का रास्ता तैयार किया। सोफिया डंक्ले ने गेंद से निर्णायक झटका दिया। कप्तान डेबी शर्मा ने कुशल रणनीति से टीम का नेतृत्व किया। और हर फील्डर ने अपना योगदान दिया।
तो, मैच की असली हीरोइन कौन थी? यह कहना मुश्किल है। क्या यह वह बल्लेबाज जिसने अर्धशतक बनाया? वह गेंदबाज जिसने महत्वपूर्ण विकेट लिया? या फिर वह कप्तान जिसने सही फैसले लिए? सच तो यह है कि इस तरह के जीवंत और प्रतिस्पर्धी मैच में हर खिलाड़ी का योगदान महत्वपूर्ण होता है। जीत एक सामूहिक प्रयास का परिणाम होती है। भारत की जीत ने हमें गर्व से भर दिया, लेकिन इंग्लैंड की लड़ाई भी सराहनीय थी। शायद, इस मैच की सबसे बड़ी हीरोइन थी – खेल की वह अदम्य भावना जो दोनों टीमों ने दिखाई! आपकी नजर में कौन रही मैच की हीरोइन? हमें कमेंट में जरूर बताएं।